मंगलवार, 13 अगस्त 2019

जनसंख्या

*|| जनसंख्या ||*

जनसंख्या के नियंत्रण बर उदिम बड़ मचावत हे
काबर होयव नइ कम रहि रहि चिंता सतावत हे।

रूख-राई काट कूटी के आबादी अपन बढ़ावत हे,
हक हे जऊन जंगलिहा के हुदरत छेढ़त खेदावत हे।

बेटा पालनहारी कहिके दिमाक अपन लगावत हे
अइसने अढ़हा बूध ह विस्फोटक रूप लेवत हे।

पर्यावरण प्रदूषण के इहीच् भूमिका निभावत हे
भूखमरी, बेरोजगारी अऊ गरीबी म अघुवावत हे।

नेता , जिम्माधारी मन सत्तासुख म भुलावत हे
मुद्दा हे गंभीर बिस्व के धियान काबर नी जावत हे।

बाढ़ जनसंख्या वृद्धि के संसाधन ल बोहावत हे
नवा पीढ़ी बर बाँचही का जमो वैज्ञानिक बिचारत हे।

बढ़त जनसंख्या म ऑक्सीजन घलो सिरावत हे
अपनेच् हाथ मा मनखै बिपदा ल परघावत हे।

बांचे नइ हे बेरा अब जेन हावय ओला बचाना हे
हिजगा पारी छोड़ के सबला कदम उठाना हे।

हमन दू हमार दो अभियान के गति बढ़ाना हे
प्रकृति संतुलन खातिर फर्ज अपन निभाना हे।।

*देवेन्द्र पटेल ''देव,,*

जय हिंद गाऊँगा

घनाक्षरी
मत रोक मां तू मुझे, सुन ले पुकार  मेरी,
हिमालय चोटी पर, जयहिंद गाऊँगा।
जयहिंद गाऊँगा जो, सिंह की दहाड़ लिये,
अरियों की छाती पर, ध्वज लहराऊँगा।
ध्वज लहराऊँगा मैं, जन गण गान होगा,
पावन ये धरती की, तिलक लगाऊँगा।
तिलक लगाऊँगा ये, मत रोना माता मेरी,
साथ मैं तिरंगे पर, लिपटा जो आऊँगा।

तोषण धनगंगहा
धनगाँव डौंडी लोहारा
छत्तीसगढ़

बेटी ल सूरूज बनावव

बेटी ल सूरूज बनावव

करत हवँव गोहार मँय नवा अँजोर बगरावव।
चंदा उइथे रातकून बेटी ल सूरुज बनावव।

एक कुल बेटा सम्हाले बेटी दुकुल सँवारत हे।
बनके दाई इही बेटी ममता अपन लुटावत हे।
परिवार रुप ये बगिया म फूल सही सजावव।
चंदा उइथे रातकून बेटी ल सूरुज बनावव।१।

पढ़ही लिखही स्कुल म नाँव देश के करही।
दाई ददा गाँव समाज के मान एकर ले बढ़ही।
देवारी के दीया बनाके घर घर एला जलावव।
चंदा उइथे रातकून बेटी ल सूरुज बनावव।२।

चिरई बन चहकन दव ए खुला आसमान म।
बेटी ल घलो सिखावव कइसे जिथे जहान म।
उड़त रहे चारो मुड़ा अइसन पतंग बनावव।
चंदा उइथे रातकून बेटी ल सूरुज बनावव।३।

कोख प पलत बेटी ल ये दुनिया आन दव।
करन देवव सपना पूरा संगी हो पहिचान दव।
बेटा बेटी के भेदभाव मन ले दूरिहा भगावव।
चंदा उइथे रातकून बेटी ल सूरुज बनावव।४।

तोषण धनगंइहा
ग्राम धनगाँव डौंडी लोहारा
जिला बालोद छ.ग.४९१७७१
मो.९६१७५८९६६७

नारी शक्ति

*नारी शक्ति देश की*

नारी शक्ति देश की,जाग  अब तो जाग
बुरी शक्तियों को अब,दाग अब तो दाग

द्रोपती सीता जैसी,बन जाओ दुर्गा काली।
आज ये दिखा सबको, कितनी है शक्तिशाली।

बैरियों के मुख निकले भाग अब तो भाग......!

जीजा जैसी ज्ञान दे,लक्ष्मी सा प्राण दे।
अनुसुइया की धरती पर, सतित्व का मान दे।

मधुबन राधा गाये,फाग अब तो फाग.......!

कलयुग की नारी हो,दुष्ट को संघारी हो।
आये जो समक्ष तेरे,सबको ललकारी हो।

छोड़ अनुराग दिखा,राग  अब तो राग......!

ममता तेरी प्यारी है,जग से भी न्यारी है।
इस धरा की गोद में,राम को उतारी है।

जिसकी सेवा में लगे,नाग अब तो नाग.....!

दिया तुने हमें भगत,और वीर आजाद को।
डिगा सके न शत्रु,तेरे इन फौलाद को।

लेकर बंदुक गोली,दाग अब तो दाग.....!

एक तेरी जय हो,ऐसा कोई समय हो।
सबका तुझे मान मिले,सबका प्रणय हो।

ले चिंगारी धधके,आग अब तो आग.....!

©®
तोषण धनगंइहा
धनगाँव डौंडी लोहारा
छत्तीसगढ़ ४९१७७१
मो:-९६१७५८९६६७

अम्बे रानी तोर चरन

आए हावँव अम्बे रानी तोर चरन तीर
हर ले दुख मोर सब मिट जावय पीर

जग के तिही महातारी हावस सब झन जानय
ममता मूरत अंतरयामी तोला सब झन मानय
पियादे तैहर मोला निर्मल ममता के नीर.....

अम्बे मइय्या तोर ले चले ये सारी दुनिया
पूजा करे तोर दाई सब देवता रीषि मुनिया
भोग लगावय तोला भरके कटोरा खीर.....

तोषन धनगंइहा
धनगाँव डौंडी लोहारा

बस तू ही तू

बस तू ही तू है
ये कैसा जादू है
-----------------------
बेबसों पे जुल्म
ये कैसा बाजू है
------------------------
लफ्ज हो पर्दे मे रहो
बंदिशें लागू है
-------------------------
मत कलम समझना
नश्तर है चाकू है
--------------------------
हर जुबां हो संग मेरे
अजब आरजू है
---------------------------
बाँटता है मजहब
ये कैसा साधू है
---------------------------
सपने सब तेरे मेरे
जल रहे धू-धू है
------------------------------
कर्ज बोझ भावों का
भुगतता नंदू है
-------------------------------
नंदराम यादव निशांत मुँगेली

चाँद छत से उतर गया होता

चाँद छत से उतर गया होता।
फिर मैं घुट-घुट के मर गया होता॥

मैं अगर चाँद पर गया होता।
गर्व उसका उतर गया होता॥

भूल जाता परिंदा उड़ना, अगर।
उनकी छत पर उतर गया होता॥

राह में खुश्बुए नहीं मिलती।
मैं अगर सीधा घर गया होता॥

मुझको आवाज़ गर वो दे देते।
क्यों इधर या उधर गया होता॥

मैं भी चलता उठा के सिर अपना।
सच से थोड़ा मुकर गया होता॥

मैं अदालत में सच अगर कहता।
शर्तिया मेरा सर गया होता॥

ऑन कर देते प्रेम का स्विच अगर।
नूर लव का बिखर गया होता॥

अनिल श्रीवास्तव 'ज़ाहिद'