*|| जनसंख्या ||*
जनसंख्या के नियंत्रण बर उदिम बड़ मचावत हे
काबर होयव नइ कम रहि रहि चिंता सतावत हे।
रूख-राई काट कूटी के आबादी अपन बढ़ावत हे,
हक हे जऊन जंगलिहा के हुदरत छेढ़त खेदावत हे।
बेटा पालनहारी कहिके दिमाक अपन लगावत हे
अइसने अढ़हा बूध ह विस्फोटक रूप लेवत हे।
पर्यावरण प्रदूषण के इहीच् भूमिका निभावत हे
भूखमरी, बेरोजगारी अऊ गरीबी म अघुवावत हे।
नेता , जिम्माधारी मन सत्तासुख म भुलावत हे
मुद्दा हे गंभीर बिस्व के धियान काबर नी जावत हे।
बाढ़ जनसंख्या वृद्धि के संसाधन ल बोहावत हे
नवा पीढ़ी बर बाँचही का जमो वैज्ञानिक बिचारत हे।
बढ़त जनसंख्या म ऑक्सीजन घलो सिरावत हे
अपनेच् हाथ मा मनखै बिपदा ल परघावत हे।
बांचे नइ हे बेरा अब जेन हावय ओला बचाना हे
हिजगा पारी छोड़ के सबला कदम उठाना हे।
हमन दू हमार दो अभियान के गति बढ़ाना हे
प्रकृति संतुलन खातिर फर्ज अपन निभाना हे।।
*देवेन्द्र पटेल ''देव,,*